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देश के आयकर कानून में एक छोटा सा बदलाव, देश में कालाधन,टैक्सचोरी एवं भ्रष्टाचार पर लगभग 80% तक कारगर रूप से लगाम लगा सकता है, इनके अतिरिक्त इसके अनगिनत लाभ भी ?
जे० पी० गुप्ता-ज़ीरो ब्लैक मनी एक्सपर्ट एवं लेखक “ऑनेस्ट विद सिन ?”
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उपरोक्त सिद्धांत भारत में ही नहीं विश्व के किसी भी देश में जहां, काला धन , टैक्स चोरी एवं भ्रष्टाचार का साम्राज्य है, पूर्णतया कारगर है.
देश ने तरक्की तो की लेकिन उसका असर केवल देश के कुछ चुनिंदा महानगरों, शहरों एवं ग्रामों तक ही में देखने को मिलता है. बाकी लोग देश में कैसे जीवन यापन कर रहे हैं इसका अंदाजा देश में आज केवल उपस्थित ग़रीबों की संख्या से ही लगाया जा सकता है, जो भारत को मिली आज़ादी के लगभग सात दशक बाद भी 6-7 % के बजाय 60-70 % के लगभग है.
आज़ादी के सात दशकों की यह तरक्की केवल यह दर्शाती है कि देश में अमीर और अमीर तथा ग़रीब और ग़रीब हो रहा है. देश की इस बदहाली के लिए जिम्मेदार हैं हमारे चार घोर मुख्य शत्रु – काला धन, टैक्स चोरी, भ्रष्टाचार एवं देर से होने वाली न्याय व्यवस्था.
देश के प्रत्येक नागरिक को सम्पन्न जीवन प्रदान करने के लिए सरकार को पैसा चाहिए जो कर के रूप में आता है. अत: यह अति आवश्यक है कि सरकार जनता पर जो भी कर लगाती है वह पूरा पूरा सरकार के पास आये और सरकार जो भी पैसा जनता पर अथवा देश के इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च करती है वह पूरी ईमानदारी से 100% तक उन पर खर्च हो. लेकिन देश के कुछ नागरिकों के गलत आचरण, लालच एवं बेईमानी के कारण ऐसा नहीं हो पाता है. परिणामस्वरूप जो होता है वह है : भ्रष्टाचार , टैक्स चोरी, काल धन , मुद्रास्फीति , महँगाई. देर से होने वाली न्याय व्यवस्था के कारण भ्रष्टाचारियों की पों बारह रहती है यानि उन्हें किसी का भी डर नहीं. इस प्रकार अमीर और गरीब के बीच की खाई बढ़ती रहती है. आम गरीब आदमी बेरोजगारी,भुखमरी, तंगहाली से त्रस्त रहता है. ऎसी परिस्थिति में गरीब के पास केवल दो विकल्प बचते हैं या तो वह आत्महत्या करले या फिर अपना व अपने परिवार का अस्तित्व बचाने के लिए देश के कानून को अपने हाथ में लेकर गलत रास्ता चुनले जो एक संपन्न समाज व देश की सरकार के लिए सबसे बड़ी खतरे की घंटी है.
आम नागरिकों में यह धारणा घर कर गई है कि काला धन, टैक्स चोरी एवं भ्रष्टाचार आदि पर पार पाना अब किसी भी सरकार के बूते से बाहर है. काला धन उत्पन्न होता है टैक्स चोरी के कारण और टैक्स चोरी का कारण है भ्रष्टाचार यानी व्यक्ति का अपना भ्रष्ट आचरण जो स्वार्थ, लालच,बेईमानी एवं गलत आचरण के कारण उत्पन्न होता है. अब से लगभग सात दशक पहले यानी आजादी के समय यह पता लगाने कि कोशिश होती थी कि हम लोगो के बीच बेईमान कौन है जो विरला ही मिलता था. आज वर्तमान में यह कोशिश होती है कि हमारे बीच ईमानदार कौन है जो अब बहुत कम मिलते हैं यानि अपवादों को छोड़कर पैसा ही लोगों के लिए भगवान है फिर उसके लिए उन्हें कुछ भी गलत क्यों न करना पड़े.
इस देश को लोकपाल की कोई आवश्यकता नहीं है. जरुरत है तो सिर्फ ऐसी सशक्त न्याय प्रणाली की जहां हर मुक़दमे का निर्णय 50 वर्षों की बजाय चंद दिनों में हो ताकि हर अपराधी अपराध करने से भय खाये और अपराध करने के बारे में तनिक सोचे भी नहीं और ऐसी न्याय व्यवस्था अभी भी इस देश में संभव है . जरुरत है तो सिर्फ ऐसा करने के लिए एक दृढ संकल्प एवं प्रबल इच्छा शक्ति की.
दुनियां में कोई भी ऐसी समस्या नहीं जिसका समाधान सम्भव न हो बशर्ते उसे ढूंढने हेतु आपके पास अटल इरादा एवं प्रबल इच्छा शक्ति हो. इस दुनियां में अभी तक कोई ऐसा सिस्टम नही बना जो काला धन एवं टैक्स चोरी के सम्बन्ध में किसी बेईमान व्यक्ति को ईमानदार बना सके, लेकिन लेखक का अपने लगभग 20 वर्षों के शोध के अनुभव के आधार पर ऐसा मानना है कि टेक्नोलॉजी के माध्यम से,कानून के माध्यम से तथा कुछ ऐसे तरीके अवश्य हैं जिनके द्वारा बेईमान से बेईमान व्यक्ति को भी ईमानदारी से कार्य करने के लिए मजबूर किया जा सकता है. उपरोक्त सिद्धान्त में भी कुछ ऐसे ही तरीके निहित हैं जो देश में काला धन, टैक्स चोरी एवं भ्रष्टाचार को 80 % तक यानि जड़ से ख़त्म करने में कारगर हो सकते हैं.
इससे पहले यह बताया जाए की आयकर कानून में क्या बदलाव किये जायें, देश के समस्त जागरूक नागरिकों, राजनीतिज्ञों एवं सम्बंधित उच्च अधिकारियों को यह जानने की अति आवश्यकता है कि देश में देनदारों (डेटर्स ) द्वारा लेनदारों (क्रेडिटर्स ) के पैसे से कितने बड़े काले धन एवं टैक्स चोरी के सामराज्य की समानान्तर अर्थ व्यवस्था चलायी जा रही है शायद आज तक किसी को अन्दाजा भी नहीं होगा और यदि अन्दाजा है भी तो क्यों सरकार आँखों पर पट्टी बांधे हुए हैं ?
बैंकों में ऋण देने के दो ‘थम्ब रुल‘ यानी सिद्धांत हैं.पहला रुल – ‘नाइदर गिव लैस नॉर गिव मोर‘ अर्थात किसी भी व्यक्ति को इतना कम ऋण भी मत दो कि वह बाकी के लिए दूसरे महाजनों का दरवाजा खटखटाये , किसी को इतना अधिक भी मत तो कि वह ओवरट्रेडिंग में सलग्न हो अर्थात अपनी चादर से ज्यादा पांव फैलाये या फिर पैसे का दुरूपयोग करे. दूसरा रुल-किसी भी व्यक्ति / फर्म की ‘डेब्ट-इक्विटी रेशो ‘ अर्थात दूसरे से लिए हुए ऋण /कर्ज और अपनी स्वम की पूंजी के बीच का अनुपात 4:1 से अधिक नहीं होना चाहिए. इससे अधिक के लिए उसके पास अलग से ऐसी चल /अचल संपत्ति होनी चाहिए जिसे बेच कर वह समय से लोगो से लिए हुए ऋणों का पूरा पूरा भुगतान कर सके.
उदाहरण : किसी कार डीलर के यहां एक नई कार की कीमत रू० 5,00,000/- है. कोई व्यक्ति इसे बैंक लोन से खरीदना चाहता है तो बैंक इस कार पर केवल रु० 3,75,000/- का लोन मंज़ूर करेगा और इस व्यक्ति को बाकी रु० 1,25,000/- अपने पास से अपनी पूंजी के रूप में देने होंगे. ऐसे में इस व्यक्ति की ‘डेब्ट-इक्विटी रेशो‘ 3:1 होगी.यदि बैंक रु० 4,00,000/- का लोन मंज़ूर करता है और यह व्यक्ति अपने पास से रु० 1,00,000/- अपनी पूंजी के रूप में देता है तो ऐसे में इस व्यक्ति की ‘डेब्ट-इक्विटी रेशो‘ 4:1 होगी.
अत: एक स्वस्थ व्यापार के लिये यह अति आवश्यक है यदि कोई व्यक्ति / फर्म अपनी पूंजी के रूप में रु० 1/- से व्यापार शुरू करता है तो वह अपने व्यापार को बढ़ाने के लिये अधिक से अधिक बाजार से अथवा बैंक से अथवा दोनों से यानि समस्त स्त्रोतों से रु० 4/- कर्ज के रूप में ले सकता है. यदि यह व्यक्ति / फर्म रु० 4/- से ज्यादा कर्ज लेता है तो यह सभी कर्ज देने वालों के लिये खतरे की घंटी है.
आज पूरे देश का आलम यह है की ज्यादातर लोग दूसरों के पैसे पर ऐश करना चाहते हैं और वे ऐसा कर भी रहें हैं और सरकार मूक दर्शक बनी हुई है. ऐसे में यदि कोई बर्बाद हो रहा है तो केवल गरीब एवं मध्यमवर्गीय लोग जिन्होंने अपने खून पसीने की जीवन भर की गाढ़ी कमाई एवं जमा पूंजी को इन लोगों को किसी न किसी रूप में कर्ज के रूप में दी हुई है. चीनी मिलों के गन्ना किसान; कपास उगाने वाले किसान; रियल-स्टेट कारोबार के निवेशक; घरेलू, कुटीर एवं छोटे छोटे उद्द्योगों से जुड़े लोग जो अपना माल बड़े लोगों एवं व्यापारियों को बेचते हैं; चिटफंड कम्पनियों के निवेशक; दबंग,फर्मों, कम्पनियों एवं उद्द्योगों आदि को उधार देने वाले लोग जैसे देश में अनगिनत उदाहरण हैं.
यदि किसी छोटे दुकानदार ने बैंक से 18% ब्याज पर ऋण लेकर अपना माल किसी बड़े व्यापारी को बेचा हुआ है और यदि यह व्यापारी एक वर्ष तक दुकानदार का पैसा वापिस नहीं करता है तो इस दुकानदार के माल की लागत एक वर्ष में 18% तक बढ़ जाती है जो देश में मंहगाई एवं मुद्रास्फीति का सबसे अहम कारण है. दूसरों के पैसों पर ऐश करने वालें लोगों की ‘डेब्ट-इक्विटी रेशो ‘ 4:1 से कहीं अधिक 1000:1 ही नहीं बल्कि इससे भी ज्यादा है.यदि ये लोग अपने आप को बैंक करप्ट ‘दिवालिया‘ घोषित कर दें तो कोई भी कर्ज दाता न तो इनके खिलाफ कुछ कर पायेगा तथा न ही अपना एक भी पैसा इनसे वसूल पायेगा और न ही इस देश की कोई भी अदालत इन लुटे पिटे लोगों की कोई मदद कर सकती है, जो आज देश में बिगड़ती कानून व्यवस्था एवं देश के न्यायालयों में बढ़ते मुकदमों का सबसे अहम कारण है. एक अच्छा राजनीतिज्ञ वोटों की आंधी को अपनी ओर तो मोड़ सकता है लेकिन एक अच्छे प्रशासन के लिए उसे ऐसे अधिकारी का मुख ताकना होता है जो अपने सारे निर्णय ए० सी० चैंबर में बैठ कर लेता है जिसका आम लोगों की समस्याओं से दूर दूर तक नाता नहीं. यही कारण है कि देश की सरकार गंम्भीर समस्याओं पर अपनी आँखों पर पट्टी बांधे हुए है.
व्यापार करना हर व्यक्ति का जन्म सिद्ध अधिकार है. व्यापार करने वाले हर व्यक्ति का इस देश में भव्य स्वागत है. व्यापार करें लेकिन अपने बलबूतें पर न की दूसरों के पैसों को हड़प कर अथवा समय से न देकर. लोग एक दिन का कहकर उधार लेते हैं लेकिन वर्षों बाद तक नहीं चुकाते हैं. आज हालात इतने बदतर हो गयें है की इस उधार की गलत बिगड़ती परम्परा के कारण कोई भी छोटी पूंजी का व्यक्ति आज बाजार में टिक ही नहीं सकता. यही कारण है की आज के अधिकतर नवयुवक अपना व्यापार करने की बजाय नौकरी की ओर भाग रहें हैं. लोगों की, मित्रों की एवं रिश्तेदारों की जरूरत के समय आर्थिक मदद /कर्ज देने वाले ही इनके दुश्मन हो जातें हैं और मधुर सम्बन्धो में यहाँ तक खटास आ जाती है कि मामले फौजदारी से लेकर थाने-अदालतों तक पहुँच जाते हैं. लोगों को दूसरों के पैसों पर मौज करने की इतनी बुरी लत हो गयी है कि कोई भी इनको अपना पैसा उधार देने वाला अपना पैसा बस वापिस न मांगें.
कर्जदाताओं (क्रेडिटर्स) के दिए गए पैसों से भ्रष्ट लोग टैक्स चोरी एवं काले धन के सामराज्य की देश में समानांतर अर्थ व्यवस्था कैसे चला रहें हैं, एक उदाहरण से अच्छी तरह समझ सकेंगे. उदाहरण : मान लिजिये देश में इनकम – टैक्स रेट 33.33 % है. यदि कोई व्यक्ति अपनी कड़ी मेहनत एवं ईमानदारी से एक वर्ष में रू० 30,000/- करोड़ रूपये कमाता है तो वह लगभग रू० 10,000/- करोड़ सरकार को आयकर के रूप में देगा.
एक भ्रष्ट व्यक्ति रियल स्टेट का कारोबार शुरू करता है.देश की जनता को बहुत सुन्दर-सुन्दर सपने दिखाकर भविष्य में भव्य मकान बनाकर देने का झूठा वायदा करके देश की जनता से रु० 30,000/- करोड़ एडवांस में लेकर कुछ दिनों बाद अपना कारोबार बंद करके गायब हो जाता है. इस प्रकार इस भ्रष्ट -व्यक्ति ने न तो एक भी पैसे का सरकार को टैक्स का दिया यानि लगभग रू० 10,000/- करोड़ का आयकर के रूप में सरकार को चूना लगाया तथा साथ साथ रु० 30,000/-– करोड़ रुपये काले धन के रूप में कमाए. इस सम्बन्ध में देश के कानून कुछ ऐसे हैं की जिन व्यक्तियों ने इस भ्रष्ट व्यक्ति को अपने जीवन की गाढ़ी कमाई एवं जमा पूंजी को दिया है, वे इस व्यक्ति का कुछ नहीं बिगाड़ सकते सिवाय इसके की देश के कुछ जागरूक लोग इस व्यक्ति के खिलाफ विभिन्न थानों में अपनी अपनी एफ० आइ० आर० दर्ज करादें अथवा विभिन्न अदालतों में मुकदमें दायर कर दें. इन लोगों की स्थिति ठीक वैसी ही है जैसे कसाई के सामने हलाल होने वाले बकरे की. काफी लोग तो अपना पैसा लुटने पर आत्महत्या तक कर लेते हैं जबकि यह भ्रष्ट व्यक्ति रु० 30,000/- करोड़ की अपार धन राशि से अपने एवं परिवार के सदस्यों के नाम चल अचल संपत्तियां बनाता है और जीवन की पूरी ऐश लेता हैं. रु० 30,000/- करोड़ का काला धन जब मार्किट में आएगा तो देश की मंहगाई एवं मुद्रास्फीति का क्या आलम होगा, वह यहाँ बताने की आवश्यकता नहीं हैं. ये उदाहरण तो सिर्फ देश के एक भ्रष्ट व्यक्ति का हैं. इस देश में इस प्रकार के भ्रष्ट व्यक्तियों का कितना बड़ा मकड़जाल हैं, यह देश की आम जनता से छिपा नहीं हैं.
इस देश का आयकर कानून सबसे ज्यादा डिफेक्टिव हैं जिससे यह पताः नहीं चलता की कौन व्यक्ति ईमानदार हैं तथा कौन बेईमान. देश के बहुत लोग सरकार को वाजिब टैक्स दिए बिना उधार के पैसों से अरबों खरबों की चल अचल संपत्ति एवं पेपर सिक्योरिटी आदि के मालिक है और ये सारा गोरख धंधा सरकार की नाक की नीचे होता है. इस देश में ऐसे व्यक्तियों की भरमार हैं जो सरकार को टैक्स के रूप में कुछ भी नहीं देते हैं जबकि इनकी चल अचल संपत्ति हज़ारों करोड़ों रुपयों की हैं. ये लोग ऐसी ऐसी लग्जरी गाड़ियों में घूमते हैं जो आम आदमी की परिकल्पना के बाहर हैं. इस देश की सरकार के पास न तो ऐसी कोई टेक्नोलॉजी हैं तथा न ही इतना इंफ्रास्ट्रक्चर जो देश के ऐसे तमाम भ्रस्ट लोगों पर अपनी पकड़ बना सकें. इन्ही कारणों से मुझे देश की जनता के नाम यह लेख लिखना पड़ा और अपनी नौकरी छोड़ कर 20 वर्षों की कड़ी मेहनत से विश्व की प्रथम टैक्नोलॉजी एवम प्रथम पुस्तक ‘HONEST WITH CIN?’ – यानि ‘सिन‘ के साथ ईमानदार नागरिक कैसे बनें?’ अर्थात काला धन, टैक्स चोरी एवम भ्रष्टाचार आदि को किसी भी देश से 99.99 % तक यानि ज़ड़ से कैसे खत्म करें, को लाना पढ़ा. देश का आधार कार्ड,जिसे लेखक ने ‘सिन‘ यानि ‘सिटिज़न आइडेंटिफिकेशन नंबर,कहा, श्री नंदन निलेकणि की खोज नहीं बल्कि लेखक की स्वम की खोज एवं आइडिया है . लेखक के पास इसका अपना कॉपी राइट है जबकि श्री नंदन निलेकणि के पास आधार का कोई कॉपी राइट नहीं है.
अतः देश में टैक्स चोरी एवं काले धन पर कारगर रूप से लगाम लगाने व कर्जदाता के दिए हुए पैसे का दुरूपयोग रोकने के लिए देश के आयकर कानून में निम्न प्रावधान तुरंत प्रभाव से लागू किये जाने की आवश्यकता है:
A. कर्जदार (व्यक्ति /फर्म) (बैंक जैसे वित्तीय संस्थानों को छोड़कर ) बिना ब्याज की तमाम प्रकार की उधार की राशियों (कर्ज दाता के द्वारा दी गयी उधार की रकम ) पर प्रथम दिन से ब्याज देगा. इस पर 1% की दर से टी० डी० एस० जो ब्याज की दर में शामिल होगा, काटकर प्रत्येक पखवाड़ा समाप्ति पर सरकार के पास जमा करेगा. इस प्रकार के उधार पर ब्याज की दरें एवं अन्य शर्तें आगे बतायी गयी हैं.
B. कर्जदार (व्यक्ति /फर्म) उधार की रकम को अपने बैंक खाते से अकाउंट पेयी ड्राफ्ट/ चेक आदि के माध्यम से वापिस करेगा.
C. कोई भी कर्जदार (व्यक्ति /फर्म) समस्त स्त्रोतों से (जिसमें बैंक भी शामिल हैं ) अपनी इन्कम टैक्स पेड कैपिटल के चार गुने से अधिक बिना अचल संपत्ति की प्रतिभूति दिये ऋण नहीं लेगा यदि वह ऐसा करता हैं अथवा उसकी अपनी बैलेंस शीट में ऐसी कोई भी रकम दर्शायी गयी हैं तो वह उस रकम पर प्रतिवर्ष 33 % अथवा जो सरकार तय करे टी० डी० एस० काटकर सरकार के खाते में जमा करायेगा.
D. कर्जदार (व्यक्ति /फर्म) की चल अचल संपत्ति पर कर्जदाता के दिये हुए कर्ज की दिनांक से जब तक लियन /चार्ज रहेगा जब तक उसका ऋण नहीं चुका दिया जाता हैं.
उपरोक्त प्रावधानों के निम्न लाभ होंगे.
देश का आयकर कानून बहुत पुराना है. इसमें अब तक कोई खास बदलाव भी नहीं है.आयकर कानून निर्माताओं को कानून बनाते समय शायद यह ध्यान ही नहीं रहा कि इसमें टैक्स चोरी को कैसे रोका जाये, बेईमान से बेईमान व्यक्ति एवं आयकर चोरी करने वालों को भी पूरा आयकर देने के लिए लिए कैसे मजबूर किया जाये ताकि काले धन एवं भ्रष्टाचार पर भी कारगर रूप से अंकुश लग सके. यही मुख्य कारण है कि आज देश में भ्रष्टाचार एवं टैक्स चोरी से युक्त काले धन के सामराज्य की समानांतर अर्थ व्यवस्था है देश की सरकार पूर्णतया अक्षम है और समझ नहीं पा रही की देश में भ्रष्टाचार ,टैक्स चोरी एवं कालेधन पर कारगर रूप से कैसे अंकुश लगाए? एक आम ईमानदार नागरिक सरकार को पूरा आयकर देकर भी एक ढंग का रहने के लिए अपना घर भी नहीं बना सकता जबकि देश के काफी लोग उधार एवं कालेधन के उपयोग से सरकार को वाजिब आयकर दिये बिना हजारों, लाखों एवं करोड़ों रुपयों की अकूत चल एवं अचल संपत्ति के मालिक हैं. देश के बड़े बड़े विवाह समारोहों पर, भव्य आयोजनों पर एवं जिंदगी के ऐश और आराम आदि पर काले धन का नंगा नाच होता है लेकिन देश की सरकार एवं आयकर विभाग सिवाय मूक दर्शक बने रहने के कुछ नहीं कर पाती है.
काले धन का उपयोग उधार के पैसे से कैसे होता है ? देश की जनता को जानना सबसे अधिक आवश्यक है.
उदाहरण : ‘क‘ के पास छै करोड़ रुपये से अधिक का का काला धन है जिससे वह एक अचल संपत्ति खरीदना चाहता है. ‘क‘ मार्किट में एक ऐसे पैसे वाले ‘ख‘ व्यक्ति की तलाश करेगा जो उसे बिना ब्याज के अथवा बहुत कम ब्याज पर छै करोड़ रुपये उधार दे सके तथा साथ साथ वह आयकर अधिकारी के सामने यह कहने के लिए भी तैयार रहे कि उसने छै करोड़ रुपये ‘क‘ को उधार दिए हैं. मार्केट में इस प्रकार के लोग कुछ धन राशि कमीशन बतौर लेकर उधार देने के लिए तैयार हो जाते हैं. देश के मुद्रा बाजार में इस प्रकार के लेनदेन अरबों खरबों में प्रतिदिन होते है. डील/सौदा तय होने पर ‘क‘ छै करोड़ रुपये नकद ‘ख‘ को दे देगा. ‘ख अपने बैंक के चैक के माध्यम से ‘क‘ के खातें में छै करोड़ रुपये ट्रांसफर कर देगा. इस पूरी डील /सौदें में सिवाय थोड़े से कमीशन के अलावा ‘क‘ और ‘ ख‘ के बीच वास्तव के कोई भी लेन देन नहीं हुआ लेकिन ‘क‘ के पास छै करोड़ रुपये का काला धन ‘सफ़ेद अवश्य हो गया.
देश के आयकर कानून का सबसे बड़ा डिफेक्ट यह है कि इसमें ऐसा कोई सिस्टम / तकनीक नहीं है जो देश के हर नागरिक को पूरी ईमानदारी से आयकर देने के लिए मजबूर करे; भ्रष्टाचार, टैक्स चोरी, एवं काले धन पर भी कारगर रूप से अंकुश लगा सके तथा देश के अधिक से अधिक लोगों पर टैक्स देने कि लिए सरकार अपनी आराम से पकड़ बना सकें. जबकि आज भी ऐसा करना सरकार के लिए पूर्णतया संभव भी है बशर्ते सरकार ऐसा करने कि लिए पूर्णतया कटिबद्ध हो.
आज के परिवेश में उधार से बनाई गयी चल अचल संपत्ति को तुरंत प्रभाव ले रोकना होगा जो भ्रष्टाचार,टैक्स चोरी एवं काले धन का सबसे बड़ा स्त्रोत है. यह तरीका देश के आयकर कानून का सबसे बड़ा डिफेक्ट है. यदि इसे तुरंत प्रभाव से रोक दिया गया तो यह निश्चित है कि देश में भ्रष्टाचार,टैक्स चोरी एवं काले धन पर लगभग 80 % तक कारगर रूप से लगाम लग सकती है.
इसका सबसे मुख्य प्रभाव यह होगा कि देश का प्रत्येक नागरिक पूरी ईमानदारी से सरकार को इसके बिना किसी भी अथक प्रयास के पूरा पूरा आयकर सरकार को देगा. साथ साथ टैक्स चोरी, भ्रष्टाचार एवं काले धन से भी तौबा करने लगेगा?
देश का प्रत्येक नागरिक जितनी भी चल अचल संपत्ति चाहे, जो उसका जन्म सिद्ध अधिकार है,अर्जित करे लेकिन सरकार को पूरा पूरा आयकर देकर न कि कम अथवा बिना आयकर दिए उधार की अथवा काले धन की बदौलत देश के कुबेरपति बने.
लेखक का ऐसा मानना है की यदि कोई व्यक्ति रु० 3 लाख करोड़ का मालिक है, देश में आयकर का रेट यदि 33.33% है तो इस व्यक्ति से सरकार के खाते में आयकर रूप में कम से कम लगभग रु० 1 लाख करोड़ आने चाहिए.
यह देश ऐसे असंख्य लोगों से भरा पड़ा है जो एक भी पैसे का आयकर सरकार को नहीं देते हैं और यदि देतें भी हैं तो केवल नामात्र का लेकिन हैं लाखों करोड़ों की चल अचल सम्पत्तियों के मालिक. देश का एक ईमानदार आदमी पूरी ईमानदारी से सरकार को आयकर देता हैं जबकि उसका पड़ोसी बिना आयकर दिए लाखों करोड़ों की गाड़ियों में पूरे ऐश और आराम से घूमता है. विवाह, समारोहों एवं बड़े बड़े आयोजनों पर काले धन से करोड़ों रुपयों की धन राशि खर्च होती है लेकिन सरकार एवं आयकर विभाग मूकदर्शक बने रहते हैं. यदि कोई कार्यवाही होती भी हैं तो सारा पैसा सरकार की बजाय अधिकारियों की जेब के हवाले होता है.
सी० बी० आई० अधिकारीयों ने लगभग डेढ़ वर्ष बाद नोयडा के ऐसे चीफ इंजीनियर को गिरफ्तार किया जिस पर मिडिया की ख़बरों के अनुसार लगभग एक हजार करोड़ से अधिक काले धन के रूप में चल अचल संपत्ति का खुलासा हुआ. मुख्य प्रश्न यहां पर यह उठता हैं की ऐसे तमाम लोगों पर तुरंत प्रभाव से कारगर रूप से लगाम के क्या उपाय हैं ताकि आम भ्रष्टाचारियों में तुरंत यह सन्देश जाये की यदि किसी ने कुछ भी गलत किया तो वह तुरंत जेल की हवा खायेगा.
अतः भ्रष्टाचार, आयकर चोरी एवं देश के कालेधन पर लगभग 80% तक कारगर रूप से लगाम लगाने हेतु देश के वर्तमान आयकर कानून में बिना किसी बदलाव के केवल निम्न प्रावधानों को तुरंत प्रभाव से जोड़ने की आवश्यकता है.
A. पहला ऑप्शन: चल अचल संपत्ति खरीदने के लिए अथवा खर्च करने के लिए काले धन का उपयोग कर सकता है लेकिन चल अचल संपत्ति खरीदने से पहले तथा यदि कोई रकम विवाह आदि पर खर्च की गयी है तो इस खर्च के तुरंत 15 दिनों के भीतर उपयोग काले धन का 50% अथवा जो सरकार तय करे सरकार के खजाने में एडवांस आयकर के रूप में जमा कराना होगा, यह राशि न तो कभी भी वापस होगी तथा न ही कभी भी किसी भी मद से समायोजित होगी.
B. दूसरा ऑप्शन: चल अचल संपत्ति खरीदने के लिए अथवा विवाह/ समारोह आदि पर खर्च करने के लिए किसी भी कर्ज दाता से लिए हुए कर्ज का उपयोग कर सकता है लेकिन चल अचल संपत्ति खरीदने से पहले तथा यदि कोई रकम विवाह आदि पर खर्च की गयी है तो इस खर्च के तुरंत 15 दिनों के भीतर कर्ज से प्राप्त धन का 33% अथवा जो सरकार तय करे सरकार के खजाने में एडवांस आयकर के रूप में जमाकराना होगा, इस जमा किये गए एडवांस आयकर को भविष्य में दिए गए आयकर से पूरा पूरा समायोजित कर सकेगा, साथ साथ उसे लिए हुए कर्ज को कर्जदाता को पूरी ईमानदारी से चुकता भी करना होगा ऐसा नहीं करने पर पहले ऑप्शन के अनुसार प्रारभ तिथि से ब्याज के साथ आयकर देना होगा तथा जुर्माना एवं कारावास अथवा जो सरकार तय करे अलग से.
2. देश के प्रत्येक व्यक्ति/फर्म ने चल अचल संपत्ति की खरीद एवं ऐसा खर्च जैसे विवाह/ समारोह आदि पर खर्च, जो टैक्स पेड इनकम से नहीं किया गया है, पर सरकार को पूरा पूरा टैक्स दिया है की अथवा नहीं यह निम्न फॉर्मूला से (जिसे लेख के तुरंत बाद दर्शाया गया है ) प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन बनाई गयी बैलेंस शीट के माध्यम से तय किया जायेगा. यदि टैक्स बाकी है तो वह 15 दिनों के भीतर उसे जमा करेगा.
3. चल अचल सम्पत्ति जैसे कार अथवा कोठी ख़रीदने से पहले इसमें कितना काला धन अथवा उधार की राशि का इस्तेमाल हुआ का 50%, अथवा 33% अथवा जो सरकार तय करे ( जैसा ऊपर बताया गया है ) एडवांस्ड टैक्स के रूप में एक शपथ पत्र के साथ क्रेता को सरकार के पास जमा करना होगा. क्रेता ने सही एडवांस्ड टैक्स जमा करा दिया है अथवा नहीं यह कार विक्रेता , आर० टी० ओ० , रजिस्ट्रार आदि सुनिश्चित करेंगे.
4. देश के प्रत्येक व्यक्ति /फर्म की किस वर्ष में अथवा उसकी विशेष अवधि में अथवा किसी विशेष दिन क्या आय है , क्या खर्चे हैं, उसके कितने क्रेडिटर्स एवं डेटर्स है, उसकी कुल चल एवं अचल संपत्ति क्या है आदि आदि का आंकलन उसके द्वारा तैयार बैलेंस शीट एवं आय व्यय अकाउंट आदि के द्वारा होगा.
5. देश का प्रत्येक व्यक्ति /फर्म जो आयकर के क्षेत्र में आता है, अपनी समस्त चल अचल संपत्ति का पूर्ण विवरण व प्रत्येक वर्ष के समस्त प्रकार के आय, व्यय, लेनदारों, देनदारों आदि का पूर्ण विवरण बैलेंशीट एवं आय–व्यय अकाउंट आदि के माध्यम से वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन अनिवार्य रूप से सरकार को देगा.
6. देश का प्रत्येक व्यक्ति /फर्म जो आयकर के क्षेत्र में आता है लेकिन जानबूझ कर आयकर नहीं दे रहें हैं एवं वे सभी जो आयकर तो देतें हैं लेकिन पूरा आयकर नहीं देतें है. अपनी समस्त चल अचल संपत्ति को पूर्ण विवरण के साथ अपनी बैलेंस शीट के माध्यम से तथा ऐसे समस्त दस्तावेजो के माध्यम से जिनको सरकार समय समय पर घोषित करे प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन को घोषित करेंगें. ऐसा नहीं करने पर ऐसी कोई भी चल अचल संपत्ति जो सरकार को घोषित नहीं की गयी है सरकार की संपत्ति हो जाएगी तथा ऐसी चल अचल संपत्ति जो सरकार को घोषित नहीं की गयी है वह दूसरे को भविष्य में बेचीं भी नहीं जा सकेगी.
7. देश का प्रत्येक व्यक्ति /फर्म जो आयकर के क्षेत्र में आता है प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन को अपनी समस्त चल अचल संपत्ति, आय व्यय, लेनदारों, देनदारों एवं समस्त प्रकार के लेंन देंन आदि का पूरा लेखा जोखा पूरी ईमानदारी से रखेगा. ऐसा न करने पर व अथवा अपनी बुक्स में/ कागजो में / बैलेंस शीट आदि में अपने लेनदारों– देनदारों आदि की कम अथवा अधिक स्थिति दर्शाता हैं अथवा सही स्थिति नहीं दर्शाता हैं अथवा कोई मद नहीं दिखाता है अथवा दर्शाता है, उसे छिपायी गयी धन राशि के अनुसार 10 गुना तक जुर्माना एवं दस वर्ष तक का कठोर कारावास हो सकता है
8. यदि कोई चल अचल संपत्ति परिवार के मुखिया की पत्नी अथवा बच्चों के नाम है लेकिन उनकी कोई आमदनी नहीं है, ऐसे में पत्नी एवं बच्चों के नाम की चल अचल संपत्ति मुखिया के नाम ही मानी जायेगी.
देश के वर्तमान आयकर कानून में किसी भी प्रकार का बदलाव किये बिना केवल उपरोक्त प्रावधानों को जोड़ने के बाद देश का हर नागरिक जो टैक्स दायरे में आता है सरकार को पूरी ईमानदारी से अपना अपना आयकर देना प्रारम्भ कर देगा और उसकी निरंतर यह कोशिश रहेगी उसके पास इनकम टैक्स पेड कैपिटल ज्यादा से ज्यादा हो साथ साथ कालेधन टैक्स चोरी एवं भ्रष्टाचार से भी नफरत करने लगेगा. उसे अब पूर्ण रूप से यह आभास हो जायेगा की वह कुछ भी कर ले अब किसी भी प्रकार का आयकर सरकार से बचा नहीं पायेगा. यदि उसने ऐसा किया और पकड़ा गया तो उसे सख्त जुर्माने एवं कठोर कारावास से कोई भी नहीं बचा पायेगा.
इस प्रकार देश का लगभग 80% कालाधन सरकार की बुक्स में स्वम आ जाएगा. सरकार को आयकर से इतनी आमदनी होगी की आने वाले वर्षों में उसे जनता पर किसी भी प्रकार का टैक्स लगाने की आवशकता नहीं होगी बल्कि सरकार यह सोचने पर मजबूर हो जाएगी की टैक्स रेट को अधिक से अधिक कितना कम किया जाये. भ्रष्टाचार पर कारगर रूप से कैसे लगाम लगेगी यह पाठक गण स्वम अनुमान लगा सकते हैं यहाँ लेखक को यह बताने की आवश्यकता नहीं है. मुद्रास्फीति एवं महगाई औंधे मुख गिरेगी. देश में मार्किट पहले अवश्य कमजोर होगा लेकिन धीरे धीरे बाद में सब कुछ अच्छा होगा. ठीक वैसे ही जैसे रात के बाद सुखद सवेरा होता है.
उपरोक्त सिद्धांत केवल ट्रेलर मात्र है जिसमे केवल मोटा मोटा दर्शाया गया है. हिट पिक्चर कैसी होगी पाठक गण स्वम अनुमान लगा सकते हैं. जरुरत है तो सिर्फ देश की सरकार को इस दिशा में अटल एवं मजबूत इरादों के साथ काम करने की.